अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.

जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.

Monday, February 22, 2010

भाजपा की बैठक में क्या हुआ, क्या होना चाहिए था?

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने वरिष्ट नेताओं को कहा कि वह एक दूसरे को नीचा दिखाने की बजाये मिल कर काम करें. वरिष्ट नेताओं को अपने अध्यक्ष की इस सीख को मानना चाहिए. ऐसा कर के वह आयु और सोच दोनों से वरिष्ट हैं ऐसा साबित कर सकेंगे.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारा मार्ग दर्शन करता रहेगा. मुझे यह अच्छा लगा. सच बात को कहने में झिझक कैसी?
नेता टेंट्स में रहे, यह एक सही कदम था. आगे जीवन में भी वह सादगी अपनाएँ यह जरूरी है.
यह कहा गया कि भाजपा को केंद्र में सत्ता हासिल करने के लिए अपने बफादार वोटरों से आगे जा कर सब वोटरों से संपर्क करना चाहिए. सबसे मिलना चाहिए यह सही बात है, पर उद्देश्य सत्ता हासिल करना नहीं, सेवा करना होना चाहिए. सेवा करके जनता का विश्वास जीतेंगे तब जनता स्वयं देश की कमान भाजपा के हाथ में सौंप देगी.
भाजपा राम राज्य की बात करती है. मेरे विचार में उसे भरत राज्य की बात करनी चाहिए. भरत ने राम का प्रतिनिधि बन कर अयोध्या का कार्य भार संभाला, एक ट्रस्टी की तरह. भाजपा को जनता का प्रतिनिधि बन कर देश का कार्य भार संभालने की बात करनी चाहिए, एक ट्रस्टी की तरह, शासक बन कर नहीं.
मंदिर बनना चाहिए. मंदिर निर्माण को एक राजनीतिक मुद्दा न बना कर एक धार्मिक और सामजिक मुद्दा बना कर पेश करना चहिये. इसके लिए सबका विश्वास जीतना होगा.
दूसरे राजनीतिक दलों से राष्ट्र निर्माण के मुद्दे पर स्पर्धा होनी चाहिए, सस्ते बादों और तोड़ फोड़ पर नहीं.
सुषमा स्वराज ने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री ने गुजरात के मुख्य मंत्री द्वारा प्रदान की गई एक अच्छी शासन प्रणाली के बजाय एक संवेदनशील शासन प्रणाली प्रदान की. मेरी समझ में यह बात नहीं आई. क्या एक अच्छी शासन प्रणाली संवेदना रहित होती है? क्या एक संवेदनशील शासन प्रणाली अच्छी नहीं होती? मुझे तो दोनों में कोई अंतर नजर नहीं आता. सुषमा जी इन दोनों नेताओं में इस प्रकार अंतर दिखा कर क्या हासिल करना चाहती हैं? अगर भाजपा में इस प्रकार की गुट बंदी चलती रही तब भाजपा इस देश का भला नहीं करपायेगी.

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