सुप्रीम कोर्ट में सरकार का नया झूट
क्या आप सपने में भी यह सोच सकते हैं कि जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च अधिकार प्राप्त समिति देश के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त का चयन करती है तब उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी समिति के सामने नहीं होती? नहीं सोच सकते न? मैं भी नहीं सोच सकता, पर ऐसा हुआ है. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद के लिए चयन करते समय समिति के सामने एक उम्मीदवार पी जे थामस के खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए चार्ज शीट और केरल सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाये जाने की अनुमति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. विस्तृत वर्णन के लिए क्लिक करें.
यह सर्व विदित है कि इस ३ सदस्यीय समिति में प्रधानमंत्री के अलाबा गृह मंत्री और लोक सभा में विपक्ष के नेता होते हैं. विपक्ष की नेता ने थामस के खिलाफ इस चार्ज के बारे में समिति को बताया था और उनको इस पद के लिए चुने जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया था. लेकिन समिति ने २:१ से इस ऐतराज को रद्द करते हुए थामस को केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद के लिए चुन लिया. आज कल सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में सुनवाई हो रही है.
एक बहुत छोटे पद के लिए भी सरकारी कर्मचारियों के बारे में सम्बंधित विभाग चयन समिति को पूरा विवरण देता है जिस में विजिलेंस सम्बन्धी जानकारी भी होती है. लेकिन यहाँ देश के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद के लिए चयन हुआ, चयन समिति के अध्यक्ष स्वयं प्रधान मंत्री थे, गृह मंत्री और विपक्ष के नेता समिति के सदस्य थे, पर सरकार के अनुसार यह जानकारी सम्बंधित विभाग द्वारा समिति को नहीं दी गई. मजे की बात यह है कि इस सम्बंधित विभाग के मंत्री प्रधानमंत्री स्वयं हैं. अब यह तो अपने आप में खुद एक स्केम हो गया.
अब बताइए इस देश में भ्रष्टाचार कैसे कम होगा?
क्या आप सपने में भी यह सोच सकते हैं कि जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च अधिकार प्राप्त समिति देश के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त का चयन करती है तब उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी समिति के सामने नहीं होती? नहीं सोच सकते न? मैं भी नहीं सोच सकता, पर ऐसा हुआ है. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद के लिए चयन करते समय समिति के सामने एक उम्मीदवार पी जे थामस के खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए चार्ज शीट और केरल सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाये जाने की अनुमति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. विस्तृत वर्णन के लिए क्लिक करें.
यह सर्व विदित है कि इस ३ सदस्यीय समिति में प्रधानमंत्री के अलाबा गृह मंत्री और लोक सभा में विपक्ष के नेता होते हैं. विपक्ष की नेता ने थामस के खिलाफ इस चार्ज के बारे में समिति को बताया था और उनको इस पद के लिए चुने जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया था. लेकिन समिति ने २:१ से इस ऐतराज को रद्द करते हुए थामस को केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद के लिए चुन लिया. आज कल सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में सुनवाई हो रही है.
एक बहुत छोटे पद के लिए भी सरकारी कर्मचारियों के बारे में सम्बंधित विभाग चयन समिति को पूरा विवरण देता है जिस में विजिलेंस सम्बन्धी जानकारी भी होती है. लेकिन यहाँ देश के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद के लिए चयन हुआ, चयन समिति के अध्यक्ष स्वयं प्रधान मंत्री थे, गृह मंत्री और विपक्ष के नेता समिति के सदस्य थे, पर सरकार के अनुसार यह जानकारी सम्बंधित विभाग द्वारा समिति को नहीं दी गई. मजे की बात यह है कि इस सम्बंधित विभाग के मंत्री प्रधानमंत्री स्वयं हैं. अब यह तो अपने आप में खुद एक स्केम हो गया.
अब बताइए इस देश में भ्रष्टाचार कैसे कम होगा?