अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.

जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.
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Friday, January 28, 2011

एक और स्केम - सर्वोच्च स्तर पर भ्रष्टाचार

सुप्रीम कोर्ट में सरकार का नया झूट
क्या आप सपने में भी यह सोच सकते हैं कि जब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वोच्च अधिकार प्राप्त समिति देश के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त का चयन करती है तब उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी समिति के सामने नहीं होती? नहीं सोच सकते न? मैं भी नहीं सोच सकता, पर ऐसा हुआ है. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद के लिए चयन करते समय समिति के सामने एक उम्मीदवार पी जे थामस के खिलाफ भ्रष्टाचार के लिए चार्ज शीट और केरल सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाये जाने की अनुमति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. विस्तृत वर्णन के लिए क्लिक करें.

यह सर्व विदित है कि इस ३ सदस्यीय समिति में प्रधानमंत्री के अलाबा गृह मंत्री और लोक सभा में विपक्ष के नेता होते हैं. विपक्ष की  नेता ने थामस के खिलाफ इस चार्ज के बारे में समिति को बताया था और उनको इस पद के लिए चुने जाने पर अपना विरोध दर्ज कराया था. लेकिन समिति ने २:१ से इस ऐतराज को रद्द करते हुए थामस को केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त के पद के लिए चुन लिया. आज कल सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में सुनवाई हो रही है.

एक बहुत छोटे पद के लिए भी सरकारी कर्मचारियों के बारे में सम्बंधित विभाग चयन समिति को पूरा विवरण देता है जिस में विजिलेंस सम्बन्धी जानकारी भी होती है. लेकिन यहाँ देश के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त पद के लिए चयन हुआ, चयन समिति के अध्यक्ष स्वयं प्रधान मंत्री थे, गृह मंत्री और विपक्ष के नेता समिति के सदस्य थे, पर सरकार के अनुसार यह जानकारी सम्बंधित विभाग द्वारा समिति को नहीं दी गई. मजे की बात यह है कि इस सम्बंधित विभाग के मंत्री प्रधानमंत्री स्वयं हैं. अब यह तो अपने आप में खुद एक स्केम हो गया.

अब बताइए इस देश में भ्रष्टाचार कैसे कम होगा?

Tuesday, January 18, 2011

Govt survives on corruption and corrupt

The question which SC asked the Govt is a question which every Indian citizen is asking - "How P J Thomas will function as CVC - Whenever he will entertain a complaint and order inquiry, he will face the question - 'you yourself are an accused, how can you look in to another complaint'."The Govt has not answered this question but is harping on its prerogative as an appointing authority.

The Govt says that unanimity in a democratic selection process does not always work. OK, it is accepted, but how the majority view is achieved? The panel has three members, PM, Home Minister and Leader of Opposition. PM and HM belong to the Govt. They will always have the same view. If LoP is having a different view then it will have no effect. In this case it has haapened. PM and HM wanted Thomas so he was appointed as CVC. LoP pointed out towards the fact that Thomas is a tainted person as he was accused of criminal conspiracy in the palmolein oil import scam. What effect it had on the choice of Thomas as CVC? What is the use of having such a panel? Whom the Govt is making fool of? If the panel had equal number of members fron Govt and opposition then it was not possible for a tainted Thomas to become CVC.

Another point, the Govt had asked Thomas to resign. Why did it do so, if what it says in the affidavit is correct - "The PM and the home minister found Thomas as the most suitable candidate to hold the post of CVC".



The cat is out of the bag. Govt attitude in case of every scam is clear. It wants to protect the corruption and the corrupt. Its survival is dependent on the survival of corruption and the corrupt. They are the family.

Friday, August 21, 2009

Is country's future safe in these hands?





Yes, who will pay the bill for this duction of public property?
क्या भारत का भविष्य इन हाथों में सुरक्षित है?

Hats off to you Mr. Joshi. All of them are doing it, but only you have the courage to say it in public. लगे रहो जोशी भाई.

भाई यह राजनीतिबाज एक बार कुर्सी पर बैठ गए तो बैठ गए. अभी तो भ्रष्टाचार के, लोलुपता के, कुर्सी प्रेम के कई आदर्श स्थापित करने हैं इन्होनें.

भाई यह नीली कातिल बसें तो रहेंगी. अभी तो बहुत से इंसानों की जान लेनी है इन्होनें. जिनकी बसें हैं उन्हीं से यह उम्मीद करना की वह इन्हें हटायेंगे, क्या परले दर्जे की बेबकूफी नहीं है?


Monday, August 03, 2009

Hanging head in shame


Home Minister said that 'we should hang our heads in shame'. TOI, in this news item, says that 'should we hang our heads in shme, Mr HM?' Who is this 'we' here? Does this 'we' include HM and Media. I think it does not. I have not seen any head hanging in shame. Have you seen?

It has aroused my interest . I will like to see, how people hang their heads in shame? Will PC or someone in media will demonstrate this?