अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.

जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.

Sunday, January 24, 2010

अच्छा ही देखो, अच्छा ही सुनो, अच्छा ही बोलो

इंसान में अच्छाई और बुराई दोनों होती हैं. प्रेम भी होता है, नफरत भी होती है. अच्छे लोग इंसान की अच्छाई और प्रेम की भावना को उभारते हैं. बुरे लोग इंसान की बुराई और नफरत की भावना को उभारते हैं. ऐसा करने में दोनों का अपना स्वार्थ होता है. अच्छे लोग चाहते हैं संसार में अच्छाई और प्रेम का साम्राज्य स्थापित हो. बुरे लोग चाहते हैं संसार में बुराई और नफरत का एक छत्र साम्राज्य स्थापित हो.

गांधीजी ने कहा, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो. बहुत सही बात कही बापू ने. पर इस के लिए उन्होंने बंदरों की आँखों, कान और मुंह पर हाथ रखवा दिया. इससे क्या होगा? क्या आँख बंद कर लेने से संसार में बुरा होना बंद हो जाएगा. क्या कान बंद कर लेने से लोग बुरा कहना बंद कर देंगे. हाँ यह जरूर है कि बुरा कहने और न कहने पर आपका अधिकार है. लेकिन इस के लिए अगर आप मुंह बंद कर लेंगे तब तो आप अच्छा भी नहीं कह पायेंगे. मेरे विचार में यह एक नकारात्मक सोच है,पलायनवाद है.

मैं कहना चाहूंगा - अच्छा ही देखो, अच्छा ही सुनो, अच्छा ही बोलो. संसार में अच्छा बुरा सब हो रहा है, हम जो हो रहा है उस में अच्छा ही देखें, जो बुरा हो रहा है उसकी और ध्यान न दें, उस से प्रभावित न हों. इसी प्रकार संसार में लोग अच्छा बुरा दोनों कहते हैं, हम केवल अच्छा ही सुनें, बुरा अनसुना कर दें, उस से प्रभावित न हों. जब बोलें तब अच्छा ही बोलें. कभी कटु शब्दों का उच्चारण न करें. सत्य भाषण करें. असत्य कहने से बचें. इस प्रकार स्वयं में अच्छाई बढ़ाते जाएँ और बुराई कम करते जाएँ. दूसरों में अच्छाई ही देखें, उनकी बुराई को अनदेखा करें.

संसार में अच्छाई और प्रेम का साम्राज्य स्थापित करने में हम से जो भी सहयोग हो करें. यही संसार में सब से बड़ी सेवा है. यही ईश्वर की सब से बड़ी पूजा है.

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