यह व्यक्ति भारत का प्रधानमन्त्री रह चुका है. इस पद की गरिमा का जो अनादर इस ने किया है उस से इतिहास शर्मिंदा हुआ है. जनता इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनती है और यह लोग जनता को हर तरह से शर्मिंदा करते हैं. सदन में राजनीतिबाजों का व्यवहार, गाली-गलौज, मार-पीट अब तक कुछ राजनीतिबाजों तक सीमित थी, पर अब तो प्रधानमन्त्री रह चुके राजनीतिबाज भी इसमें करतब दिखाने लगे हैं. सत्ता का लालच किसी व्यक्ति को इतना नीचे गिरा सकता है यह सोच कर ही घबराहट होती है.आप लोग समझते नहीं हैं,
बहुत मुश्किल होता है हाशिये पर बैठना,
केंद्र में पी एम् की कुर्सी पर बैठने के बाद,
दिमाग खराब हो जाता है,
सही गलत की समझ नहीं रहती,
जिसे दर्द होता है वही जानता है,
आप लोग समझते तो हैं नहीं.
केंद्र में पी एम् की कुर्सी पर बैठने के बाद,
दिमाग खराब हो जाता है,
सही गलत की समझ नहीं रहती,
जिसे दर्द होता है वही जानता है,
आप लोग समझते तो हैं नहीं.
2 comments:
आप सही कह रहे हैं. इतिहास में इसे एक शर्मनाक घटना के रूप में जाना जाएगा. कितनी शर्म की बात है की प्रधान मंत्री के गरिमामय पद पर रह कर भी कोई व्यक्ति अपने को गरिमामय न बना पाए.
हमारे देश में प्रजातंत्र है. प्रजा जो सरकार चुनती है वह प्रजातांत्रिक सरकार होती है. इसका अर्थ है कि यह सरकार प्रजा की प्रतिनिधित्व सरकार होती है शासक सरकार नहीं. लेकिन आज के राजनीतिबाज सत्ता के लालच में अंधे हो गए हैं, सही-गलत का अंतर भूल गए हैं, स्वयं को जनता के शासक के रूप में देखते हैं और सत्ता से बाहर होते ही मानसिक संतुलन खो बैठते हैं और गाली-गलौज और हिंसा पर उतर आते हैं. गौड़ा जी भी इसमनोदशा का शिकार हैं.
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