All right minded persons will agree with this move to isolate so-called jihadis from Islam.
एक आम मुसलमान से बात करो तो वह इन जिहादियों को अपराधी ही मानता है, पर न जाने क्यों मिल कर वह इन अपराधियों को अपनी कौम से बाहर नहीं निकाल पाते. क्या मजबूरी है उनकी? इन अपराधियों के कारण, इस्लाम सारी दुनिया में बदनाम हो रहा है, पर हर बात पर इकठ्ठा हो जाने वाले मुसलमान इन के खिलाफ इकठ्ठा नहीं हो पाते. देखिये इस फैसले का क्या असर होता है?
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