इंसान में अच्छाई और बुराई दोनों होती हैं. प्रेम भी होता है, नफरत भी होती है. अच्छे लोग इंसान की अच्छाई और प्रेम की भावना को उभारते हैं. बुरे लोग इंसान की बुराई और नफरत की भावना को उभारते हैं. ऐसा करने में दोनों का अपना स्वार्थ होता है. अच्छे लोग चाहते हैं संसार में अच्छाई और प्रेम का साम्राज्य स्थापित हो. बुरे लोग चाहते हैं संसार में बुराई और नफरत का एक छत्र साम्राज्य स्थापित हो.
गांधीजी ने कहा, बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो. बहुत सही बात कही बापू ने. पर इस के लिए उन्होंने बंदरों की आँखों, कान और मुंह पर हाथ रखवा दिया. इससे क्या होगा? क्या आँख बंद कर लेने से संसार में बुरा होना बंद हो जाएगा. क्या कान बंद कर लेने से लोग बुरा कहना बंद कर देंगे. हाँ यह जरूर है कि बुरा कहने और न कहने पर आपका अधिकार है. लेकिन इस के लिए अगर आप मुंह बंद कर लेंगे तब तो आप अच्छा भी नहीं कह पायेंगे. मेरे विचार में यह एक नकारात्मक सोच है,पलायनवाद है.
मैं कहना चाहूंगा - अच्छा ही देखो, अच्छा ही सुनो, अच्छा ही बोलो. संसार में अच्छा बुरा सब हो रहा है, हम जो हो रहा है उस में अच्छा ही देखें, जो बुरा हो रहा है उसकी और ध्यान न दें, उस से प्रभावित न हों. इसी प्रकार संसार में लोग अच्छा बुरा दोनों कहते हैं, हम केवल अच्छा ही सुनें, बुरा अनसुना कर दें, उस से प्रभावित न हों. जब बोलें तब अच्छा ही बोलें. कभी कटु शब्दों का उच्चारण न करें. सत्य भाषण करें. असत्य कहने से बचें. इस प्रकार स्वयं में अच्छाई बढ़ाते जाएँ और बुराई कम करते जाएँ. दूसरों में अच्छाई ही देखें, उनकी बुराई को अनदेखा करें.
संसार में अच्छाई और प्रेम का साम्राज्य स्थापित करने में हम से जो भी सहयोग हो करें. यही संसार में सब से बड़ी सेवा है. यही ईश्वर की सब से बड़ी पूजा है.
आओ लड़ें भ्रष्टाचार से. FIGHT CORRUPTION. भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार और सरकारी विभागों में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है यहाँ.
अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.
जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.
जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.
Sunday, January 24, 2010
Sunday, January 17, 2010
आप डरपोक नागरिक क्यों बनें?
सब को अपनी सुरक्षा का अधिकार है. अगर पुलिस और सरकार उनकी सुरक्षा नहीं कर सकती तब उन्हें पूरा अधिकार है कि वह अपनी रक्षा खुद करें चाहे इसमें आकामक व्यक्ति की जान ही क्यों न चली जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में १० सूत्री दिशा निर्देश दिए हैं. कोर्ट के अनुसार खतरे से डर कर भागना कायरता है. कायर न बनें.
Friday, January 15, 2010
तीन सवाल ???
पडोसी देश ने,
हड़प ली जमीन हमारी,
इंच-इंच करके,
पर सरकार सोती रही,
कुछ न कर पाई,
न ही कुछ करना चाहा,
क्या देश सुरक्षित है,
ऐसी सरकार के हाथों में?
एक लेखक की किताब,
खूब बिकी, खूब बिकी,
परम्परा के अनुसार,
उन्होंने एक लेख में लिखा,
कश्मीर दे दो पाकिस्तान को,
किसी ने कुछ नहीं कहा,
न कोई फतवा,
न ही कोई भर्त्सना,
क्या देश सुरक्षित है,
ऐसे लेख्कों के हाथों में?
मैं दिल्ली में रहता हूँ,
बड़ा अजीब लगता है,
प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री,
अक्सर बयान देते हैं,
दिल्ली को बनायेंगे,
सबसे खूबसूरत शहर,
मेरी कालोनी के पार्क में,
घुमते हैं कुत्ते और सुवर,
क्या मेरा शहर सुरक्षित है,
ऐसे नेताओं के हाथों में?
हड़प ली जमीन हमारी,
इंच-इंच करके,
पर सरकार सोती रही,
कुछ न कर पाई,
न ही कुछ करना चाहा,
क्या देश सुरक्षित है,
ऐसी सरकार के हाथों में?
एक लेखक की किताब,
खूब बिकी, खूब बिकी,
परम्परा के अनुसार,
उन्होंने एक लेख में लिखा,
कश्मीर दे दो पाकिस्तान को,
किसी ने कुछ नहीं कहा,
न कोई फतवा,
न ही कोई भर्त्सना,
क्या देश सुरक्षित है,
ऐसे लेख्कों के हाथों में?
मैं दिल्ली में रहता हूँ,
बड़ा अजीब लगता है,
प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री,
अक्सर बयान देते हैं,
दिल्ली को बनायेंगे,
सबसे खूबसूरत शहर,
मेरी कालोनी के पार्क में,
घुमते हैं कुत्ते और सुवर,
क्या मेरा शहर सुरक्षित है,
ऐसे नेताओं के हाथों में?
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Monday, January 11, 2010
इतिहास को शर्मिंदा करते यह राजनीतिबाज
यह व्यक्ति भारत का प्रधानमन्त्री रह चुका है. इस पद की गरिमा का जो अनादर इस ने किया है उस से इतिहास शर्मिंदा हुआ है. जनता इन्हें अपना प्रतिनिधि चुनती है और यह लोग जनता को हर तरह से शर्मिंदा करते हैं. सदन में राजनीतिबाजों का व्यवहार, गाली-गलौज, मार-पीट अब तक कुछ राजनीतिबाजों तक सीमित थी, पर अब तो प्रधानमन्त्री रह चुके राजनीतिबाज भी इसमें करतब दिखाने लगे हैं. सत्ता का लालच किसी व्यक्ति को इतना नीचे गिरा सकता है यह सोच कर ही घबराहट होती है.
आप लोग समझते नहीं हैं,
बहुत मुश्किल होता है हाशिये पर बैठना,
केंद्र में पी एम् की कुर्सी पर बैठने के बाद,
दिमाग खराब हो जाता है,
सही गलत की समझ नहीं रहती,
जिसे दर्द होता है वही जानता है,
आप लोग समझते तो हैं नहीं.
केंद्र में पी एम् की कुर्सी पर बैठने के बाद,
दिमाग खराब हो जाता है,
सही गलत की समझ नहीं रहती,
जिसे दर्द होता है वही जानता है,
आप लोग समझते तो हैं नहीं.
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