अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.

जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.

Saturday, January 22, 2011

सुखी जीवन के लिए कितना धन चाहिए ?

भोपाल के आईएएस दंपत्ति, अरविन्द और टीनू  के पास ३६० करोड़ रुपये की धन-संपत्ति पाई गई है, जिन में ३ करोड़ रुपये १००० रुपये के नोटों में सूटकेसेस में भरे पाए गए. उनके पास २५ फ्लेट्स हैं, ४०० एकड़ खेती-योग्य और दूसरी जमीन है तथा काफी पैसा स्टाक्स में लगाया हुआ है. एक परिवार को रहने के लिए कितने फ्लेट्स चाहियें? कितनी जमीन चाहिए? कितना नकद पैसा चाहिए? अरविन्द और टीनू जैसे अनेक लोग इस देश में हैं जिन के पास अथाह धन-संपत्ति है, यानि उनकी अपनी आवक्श्यकता से बहुत अधिक धन है. क्या खाते हैं यह लोग? क्या पहनते हैं? कितने मकानों में एक साथ रहते हैं? एक प्रश्न मन में आता है कि सुखी जीवन के लिए आखिरकार कितना धन चाहिए?

किसी भी व्यक्ति के पास आवश्यकता से बहुत अधिक धन नहीं होना चाहिए. मनुष्य की मुख्य आवश्यकताएं होती हैं, रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन, आवागमन. इनके लिए मनुष्य के पास समुचित धन होना चाहिए. कुछ धन की वचत भविष्य के लिए भी करनी चाहिए. इसके अतिरिक्त जो भी धन होता है वह ऐसे अनावश्यक कार्यों में खर्च होता है जिनसे मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. अगर नागरिक
शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ होंगे तब समाज और देश भी अस्वस्थ होगा. आज यह सब कुछ होता दिखाई दे रहा है.

आवश्यकता से बहुत अधिक धन ईमानदारी से नहीं कमाया जा सकता. उसके लिए कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में बेईमानी करनी ही पड़ती है, भ्रष्टाचार करना ही पड़ता है. बेईमानी और भ्रष्टाचार द्वारा कमाया गया पैसा आता कहाँ से है? यह पैसा आम नागरिकों की जेब से आता है. जो पैसा एक आम नागरिक को अपने और अपने परिवार की जरूरी आवश्यकताओं पर खर्च करना था वह उस से छीन लिया जाता है और बेईमानी और भ्रष्ट रास्तों द्वारा कुछ और नागरिकों की जेब में चला जाता है. न जाने कितने आम नागरिक एक सुखी जीवन ब्यतीत करने से बंचित हो जाते हैं. किसी के पास खाने के लिए पैसा नहीं होता, किसी के पास तन ढंकने के लिए कपड़ा, किसी के पास सर छुपाने के लिए छत, बीमारी के लिए दवा, बच्चों को स्कूल भेजने के लिए फीस, और अन्य साधन नहीं होते. किसी के पास इतना पैसा हो जाता है कि उसे रखने के लिए सूटकेस खरीदने पड़ते हैं. 

इंसान और इंसान के बीच की यह असमानता समाज को अस्वस्थ कर देती है. सुखी जीवन से बंचित कर दिए गए कितने ही आम नागरिक हिंसा के रास्ते पर चले जाते हैं, समाज में अपराध बढ़ जाता है. पुलिस, न्यायपालिका और सरकार इन बंचित नागरिकों पर और अन्याय करना शुरू कर देती है. उनकी मजबूरी न समझ कर उनके साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार करती है कि उनमें से कुछ नागरिक घोर अपराधी बन जाते हैं. जिन्होनें इन्हें अपराधी बनाया उन्हें पुरूस्कार दिए जाते हैं, उन्हें सम्मानित नागरिक कहा जाता है, वीआईपी और वीवीआईपी जैसे उपाधियों से नवाजा जाता है.

अरविद-टीनू और इन जैसे कितने बेईमान और भ्रष्टाचारी आज समाज के सामने नंगे खड़े हैं पर क्या इन्हें इनके अपराधों का कोई दंड मिल पायेगा? कानून को इस तरह तोडा-मरोड़ा जाएगा कि अंततः यह सब अपराधी सम्मान पूर्वक सुखी जीवन बिताने रहेंगे और इस महान राष्ट्र के असहाय आम नागरिक
सम्मान पूर्वक सुखी जीवन बिताने से बंचित किये जाते रहेंगे.

No comments: