एक ईमानदार वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के साथ पांच वर्ष से हो रहे अत्याचार पर शायद अब लगाम लग जायेगी. यह अधिकारी हरयाणा की सरस्वती वनजीवन अभ्यारण्य का प्रभारी था. इस का दोष यह था कि इसने एक नहर निर्माण में बहु-करोड़ घोटाले का भंडाफोड़ किया था. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई, पर पांच वर्षों में इस अधिकारी का १२ बार तबादला किया गया, पदोन्नति नहीं की गई, एक झूटी चार्जशीट लगा कर सस्पेंड किया गया. केन्द्रीय अधिकारियों द्वारा जांच की रिपोर्ट में इस अधिकारी को निर्दोष पाया गया, और वन मंत्री किरण चौधरी और अन्य कई अधिकारियों को दोषी पाया गया. लेकिन हरयाणा सरकार इसे दण्डित करने पर अड़ी रही और नौकरी से बर्खास्त करने की धमकियाँ देती रही.
अब केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस अधिकारी पर लगाए गए सारे आरोपों को रद्द कर दिया है. इस बारे में राष्ट्रपति के आदेश के जल्दी आ जाने की सम्भावना है.
अब प्रश्न यह है, क्या दोषी मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जायेगी या हरयाणा सरकार, उस के मंत्री और अफसरों को इस अपराध के लिए माफ़ कर दिया जाएगा?
मेरी पिछली पोस्ट पढ़ें:
सरकार भ्रष्टाचारियों के साथ है
सरकार द्वारा भ्रष्टाचार का पोषण
अब केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस अधिकारी पर लगाए गए सारे आरोपों को रद्द कर दिया है. इस बारे में राष्ट्रपति के आदेश के जल्दी आ जाने की सम्भावना है.
अब प्रश्न यह है, क्या दोषी मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जायेगी या हरयाणा सरकार, उस के मंत्री और अफसरों को इस अपराध के लिए माफ़ कर दिया जाएगा?
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