अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.

जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.

Friday, January 21, 2011

भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं?

एक ईमानदार वन अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के साथ पांच वर्ष से हो रहे अत्याचार पर शायद अब लगाम लग जायेगी. यह अधिकारी हरयाणा की सरस्वती वनजीवन अभ्यारण्य का प्रभारी था. इस का दोष यह था कि इसने एक नहर निर्माण में बहु-करोड़ घोटाले का भंडाफोड़ किया था. भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई, पर पांच वर्षों में इस अधिकारी का १२ बार तबादला किया गया, पदोन्नति नहीं की गई, एक झूटी चार्जशीट लगा कर सस्पेंड किया गया. केन्द्रीय अधिकारियों द्वारा जांच की रिपोर्ट में इस अधिकारी को निर्दोष पाया गया, और वन मंत्री किरण चौधरी और अन्य कई अधिकारियों को दोषी पाया गया. लेकिन हरयाणा सरकार इसे दण्डित करने पर अड़ी रही और नौकरी से बर्खास्त करने की धमकियाँ देती रही.

अब केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री ने इस अधिकारी पर लगाए गए सारे आरोपों को रद्द कर दिया है. इस बारे में राष्ट्रपति के आदेश के जल्दी आ जाने की सम्भावना है. 

अब प्रश्न यह है, क्या दोषी मंत्री और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जायेगी या हरयाणा सरकार, उस के मंत्री और अफसरों को इस अपराध के लिए माफ़ कर दिया जाएगा?

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