
कुछ दिन पहले मैंने एक पोस्ट लिखी थी -
सरकार भ्रष्टाचारियों के साथ है. इस में मैंने लिखा था कि किस प्रकार एक ईमानदार और कर्तव्य परायण अधिकारी को हरियाणा सरकार इस लिए परेशान कर रही है क्योंकि उस ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी.
संजीव चतुर्वेदी के पांच वर्ष में १२ तबादले किये गए, झूठी चार्जशीट दी गई, फिर सस्पेंशन किया गया, कोई पदोन्नति नहीं, प्रदेश सरकार द्वारा डिसमिस करने की धमकी दी गई. भ्रष्टाचारियों में एक की पदोन्नति हो गई, एक को प्लम पोस्टिंग मिली. प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय भ्रष्टाचारियों के साथ मिल गई. केंद्र सरकार की जाँच में यह सिद्ध हो गया कि संजीव को फंसाया गया है, चार्जशीट झूठी है, पर कुछ नहीं किया गया. मीडिया में बात उठी तब केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने चार्जशीट को रद्द किया, पर अब यह पता चला है कि यह मंत्री भी पलट गया और मामला फिर दोषी प्रदेश सरकार के सवाले कर दिया गया, जो अब संजीव को डिसमिस करने जा रही है.
केंद्र सरकार भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता की बात करती है पर भ्रष्टाचार न सिर्फ बढ़ता जा रहा है बल्कि खुद सरकार भी भ्रष्टाचारियों की ही मदद कर रही है. प्रधानमंत्री और सोनिया भाषण देते हैं पर करते कुछ नहीं. संजीव पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है. उस बेचारे को नौकरी ही खतरे में पड़ गई है. अब इस में किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि सरकार हकीकत में भ्रष्टाचार का पोषण कर रही है. इस सरकार के रहते भ्रष्टाचार कम होने वाला नहीं है.
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