भ्रष्टाचार दो शब्दों से मिल कर बना है भ्रष्ट और आचार, अर्थात एक ऐसा व्यक्ति जिस का आचरण भ्रष्ट है.
आचरण का अर्थ है - काम, व्यवहार, आचार-विचार, कार्यवाही, चाल-चलन, चरित्र, ढंग, वर्ताव, चाल-ढाल.
भ्रष्ट का अर्थ है - चरित्रहीन, लम्पट, कुकर्मी, दुष्ट, पथ भ्रष्ट, अश्लील, कुत्सित, पतित, नीच, नियमों का अनुशरण न करने वाला, खोटा, दुश्चरित्र, रिश्वतखोर, घूस लेने-देने वाला.
भ्रष्टाचार का अर्थ सिर्फ पैसों का आदान-प्रदान या घूस लेना या देना नहीं है. चरित्रहीनता , कुकर्म करना, अश्लीलता, नियमों का अनुशरण न करना, दूसरों का हक़ छीनना, चुगली करना, अपने फायदे के लिए झूट बोलना, दूसरों को नुकसान पह्नुचाने के लिए झूट बोलना, अपने पद और अधिकारों का दुरूपयोग करना, अपने कर्तव्य का सही तरह से पालन न करना, यह सब भ्रष्टाचार के ही रूप हैं.
सामान्य रूप में घूस लेने या देने को ही भ्रष्टाचार की संज्ञा दी जाती है. पद और अधिकारों का दुरूपयोग भी बराबर का भ्रष्टाचार है. अधिकाँश अवसरों पर भ्रष्टाचार यहीं से शुरू होता है पर उसका उद्देश्य घूस लेना ही होता है. जब घूस मिल जाता है तब नियमों का पालन करके या उल्लंघन करके घूस देने वाले को फायदा पहुंचा दिया जाता है. वर्ना वह व्यक्ति इधर से उधर भटकता रहता है, उसे हर तरह से तंग किया जाता है, कहीं उसकी सुनवाई नहीं होती, उसे यह भी समझाया जाता है कि अगर ऊपर जाओगे तो और अधिक घूस देना पड़ेगा. यह एक सच्चाई भी है, जितना बड़ा अफसर या नेता होता है, वह उतना ही ज्यादा घूस लेता है. आखिरकार पद और अधिकारों का भी तो कोई मूल्य है. चपरासी पांच रूपए घूस लेता है, क्लर्क पचास रूपए लेता है, मेनेजर पांच सौ लेता है.
बैसे आज कल संगठित भ्रष्टाचार पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसमें पकड़े जाने का खतरा कम होता है. पूरी संगठित भ्रष्टाचार की चैन में कोई न कोई प्रभावशाली व्यक्ति होता ही है जिस के प्रभाव से चैन के सब सदस्य सुरक्षित रहते हैं. अक्सर इस चैन में जांच एजेंसियां और अदालतें भी शामिल होती हैं. अंत में सारे भ्रष्टाचारी बच जाते हैं और शिकायतकर्ता के खिलाफ कार्यवाही हो जाती है, या किसी को स्केपगोट बना कर दण्डित कर दिया जाता है और बड़ी गोटों को बचा लिया जाता है.
कामनवेल्थ खेलों में हुआ भ्रष्टाचार संगठित भ्रष्टाचार का एक ज्वलंत उदाहरण है. भ्रष्टाचार हुआ है यह सब जानते हैं, सरकार भी जानती है, अब तो सारा विश्व जान गया है. पर क्या हो रहा है? देश की प्रतिष्टा का नारा लगा कर सब को चुप करा दिया गया है. "खेलों के बाद कार्यवाही करेंगे", यह खोखला वादा किया गया है. सब जानते हैं कि खेल हो जाने के बाद कुछ नहीं होने वाला. बड़े-बड़े लोग इस में शामिल हैं. सांप को निकल जाने दिया जा रहा है, बाद में बस लकीर पीटी जाएगी.
संगठित भ्रष्टाचार में यह बहुत बड़ा फायदा है. भ्रष्टाचार की एक लम्बी चैन बनाइये, उसमें कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों को शामिल कर लीजिये, फिर जम कर भ्रष्टाचार कीजिए, कोई आपका कुछ नहीं बिगड़ सकता, ऊपर वाले आपको हर संकट से बचा लेंगे.
जय हो संगठित भ्रष्टाचार की, जय हो संगठित भ्रष्टाचारियों की.