चुनते समय हमने तो सोचा था कि वह हमारा प्रतिनिधित्व करेंगे, पर उनका इरादा तो जनता के पैसे पर ऐयाशी करने का था. जितने रुपये उन्होंने होटल के किराए में उड़ा दिए उतने तो हमने सारी जिन्दगी में देखे तक नहीं.
सारी जिन्दगी टूटी-फूटी बसों और रेल के निचले दर्जे में सफ़र करते रहे. हवाई जहाज का तो कभी सोचा तक नहीं. पर पवार साहब का कहना है कि उन्हें हवाई जहाज में ऊपरी दर्जे में बैठ कर काम करना अच्छा लगता है. एक और महान आत्मा का कहना है कि हवाई जहाज में निचले दर्जे में बैठने से उनकी प्राइवेसी में बुरा सर पड़ेगा. भैया जब वोट मांगने आये थे तब करते इस प्राइवेसी कि बात. हम आपको बिलकुल प्राइवेट कर देते. अब हम क्या करें. अब पछताए क्या होत है जब नेता ले गया वोट.
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