अब इस में कोई संदेह नहीं रहा कि यह सरकार भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाएगी. इस सरकार का हर कार्य नागरिकों के खिलाफ और भ्रष्टाचारियों के पक्ष में होता है. अब जहाँ भी जब भी चुनाव हो, मतदाताओं को इस भ्रष्ट सरकार और इसकी साथी भ्रष्ट पार्टियों को हराना है.

जन लोकपाल बिल को कानून बनाओ, फिर हमसे वोट मांगने आओ, नहीं तो हार के गहरे समुन्दर में डूबने के लिए तैयार हो जाओ.

Friday, September 11, 2009

Austerity drive and peoples' representatives


चुनते समय हमने तो सोचा था कि वह हमारा प्रतिनिधित्व करेंगे, पर उनका इरादा तो जनता के पैसे पर ऐयाशी करने का था. जितने रुपये उन्होंने होटल के किराए में उड़ा दिए उतने तो हमने सारी जिन्दगी में देखे तक नहीं.

सारी जिन्दगी टूटी-फूटी बसों और रेल के निचले दर्जे में सफ़र करते रहे. हवाई जहाज का तो कभी सोचा तक नहीं. पर पवार साहब का कहना है कि उन्हें हवाई जहाज में ऊपरी दर्जे में बैठ कर काम करना अच्छा लगता है. एक और महान आत्मा का कहना है कि हवाई जहाज में निचले दर्जे में बैठने से उनकी प्राइवेसी में बुरा सर पड़ेगा. भैया जब वोट मांगने आये थे तब करते इस प्राइवेसी कि बात. हम आपको बिलकुल प्राइवेट कर देते. अब हम क्या करें. अब पछताए क्या होत है जब नेता ले गया वोट.

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